मासिक धर्म के समय या पीरियड्स के दौरान रक्त का अत्यधिक स्राव या बहाव मेनोरेजिया (अतिरज) कहलाता है। यह नियमित अंतराल पर असामान्य रूप से लंबे समय तक चलने वाला और भारी मासिक धर्म है। यह आमतौर पर प्री मेनोपॉज महिलाओं में होता है, जो उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जीवन की गुणवत्ता में कमी, कमजोरी और उनकी जीवन शैली में कई रुकावटें पैदा करता है।
मेनोरेजिया के इलाज के रूप में, होम्योपैथी दवाओं ने सिद्ध परिणाम दिखाए हैं। होम्योपैथिक उपचार लंबे समय तक चलने और स्थायी मदद की गारंटी देने के लिए व्यक्ति की भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को बनाए रखता है। दवाओं को जरूरी रूप से डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए।
कुछ महिलाओं को अपने मासिक धर्म चक्र के साथ लगभग कोई समस्या नहीं होती है, परन्तु कुछ महिलाओं को अत्यधिक कष्ट होता है। इनमें जलन, चिड़चिड़ा मिजाज, सिरदर्द, सूजन, अत्यधिक पेशाब और स्तनों का दर्द शामिल हैं। ऐंठन, भारी ब्लीडिंग, चिंता और परेशानी के साथ, पीरियड्स अनियमित और परेशान हो सकते हैं। मेनोरेजिया की समस्या के लिए यहां कुछ होम्योपैथिक उपचार दिए गए हैं तो बहुत ही उत्तम है।
मेनोरेजिया (अतिरज) का अर्थ है अत्यधिक लंबे समय तक अथवा अत्यधिक मासिकधर्म ।
मेनोरेजिया (अतिरज) का होम्योपैथिक दवा – Homeopathic Treatment For Menorrhagia
एलॉय सोकोट्रीना : बहुत जल्दी-जल्दी बहुत अधिक बहुत लंबे समय तक जारी रहने वाला मासिक धर्म ।
एम्ब्रा ग्रिसिया, बोविस्टा एवं सेबाइन Q : औषधि के अन्य लक्षणों के अनुसार अकारण ही अवधि के बीच में रक्तस्राव होने में उपयोगी।
आर्सेनिकम एल्ब : पतले, घाव पैदा कर देने वाले तथा जलनयुक्त श्वेतप्रदर के साथ पुराना अतिमासिक।
बेलाडोना : सिर के चरित्रगत लक्षणों के साथ चमकदार लाल, उष्ण प्रवाह।
कैल्केरिया कार्ब : बहुत जल्दी-जल्दी, बहुत अधिक, विशेष रूप से निस्तेज (Pale) रोगिणियों में, ठण्डे तथा नम पैरों के साथ, मोटापे की प्रवृत्ति के साथ।
कैमोमिला : भावनात्मक उत्तेजना के कारण मासिक धर्म की दीर्घ अवधि। बहुत चिड़चिड़ापन।
चायना आफ 1x : रक्त में काले पिण्ड।
क्रोकस सटाईवा : लम्बे रेशों के रूप में थक्केयुक्त रक्त, थोड़ी सी भी गतिविधियों से वृद्धि।
साइक्लामेन : अत्यधिक, काला, झिल्लीयुक्त, थक्केयुक्त, रक्त बहुत जल्दी-जल्दी, कमर में पीछे से आगे तक प्रसव की भांति पीड़ा के साथ मासिक धर्म।
एरिजिरॉन : चमकदार, लाल रक्त प्रवाह के साथ अतिमासिक। मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक, निरन्तर रक्तस्राव ।
फेरम मेट : मासिक धर्म में सामान्य वृद्धि।
फाइकस रेलिजिओसा Q : गर्भाशय से रक्तस्राव, विशेषरूप से ऋतुकाल के अलावा अन्य किसी भी समय पर। ऋतुकाल के समय में अत्यधिक रक्तस्राव, चाहे वह दिनों की संख्या में हो अथवा रक्त की मात्रा अथवा दोनों में वृद्धि।
हेमामेलिस Q : चोट लगने के बाद अण्डाशयी उत्तेजना के साथ काले रंग का रक्त प्रवाह ।
हेलोनियस : बहुत जल्दी – जल्दी, बहुत अधिक, बहुत लम्बे समय तक जारी रहने वाले मासिक धर्म के साथ नीचे की ओर खिंचावयुक्त पीड़ा, गर्भाशय की स्थानच्युति । रजोनिवृत्ति के दौरान लम्बे समय तक चलने वाला मासिकधर्म कमजोर कर देने वाला तथा दुःसाध्य ।
इपिकाकुआन्हा : लम्बे समय से जारी मासिकधर्म के गम्भीरत्तम रूप में, जिसमें अन्य कोई कष्ट नहीं होता है । मितली अथवा मितली के बिना चमकदार तरल स्राव ।
क्रियोजोटम : मासिकधर्म बहुत जल्दी – जल्दी, लम्बे समय तक जारी रहने वाला । मासिकधर्म का प्रवाह सविरामी होता है, बैठ जाने अथवा टहलने पर रुक जाता है तथा लेट जाने पर पुनः शुरू ।
मिलीफोलियम : मासिक धर्म जल्दी – जल्दी, अत्यधिक, दीर्घकालीन । गर्भाशय से रक्तस्त्राव, चमकदार लाल व तरल ।
नाइट्रिकम एसिडम : जल्दी आने और जल्दी ही लौट जाने वाला । उग्र ऐंठन, उत्तेजक, हरा प्रदर। मूत्र से घोड़े के मूत्र की भांति गन्ध आती है । आधी रान के पश्चात् बेचैनी ।
नक्स वोमिका : समयपूर्व मासिकधर्म । मात्रा में अधिक तथा कुछ अधिक दिनों तक जारी रहता है । रक्त काला होता है ।
प्लेटिनम मेट : यह गर्वीली तथा अंहकारी स्त्रियों के अनुकूल है । मासिकधर्म बहुत जल्दी – जल्दी, अत्यधिक तथा काले थक्कों के साथ होता है । गुप्त भागों में गुदगुदाहट तथा अत्यधिक यौनेच्छा होती है ।
सेबाइना : उदर में नीचे की ओर खिंचावयुक्त पीड़ा के साथ चमकदार, लाल रक्त का प्रवाह ।
सराका इण्डिका Q ( अशोक ) : अत्यधिक मासिकधर्म, रंग में काला, पीड़ापूर्ण, दुर्गन्धित, अनेक गर्भाशयी रोगों के साथ ।
सेकेल कौरनुटम : ऋतुकाल के बीच में उदरशूल के साथ पीले रक्त की निरन्तर टपकन होती रहती है । गर्भाशय में जलनयुक्त पीड़ा जो ठण्डे पानी से धोने तथा ठण्डे मौसम में शान्त हो जाती है ।
सीपिया : मूर्छा तथा रोने की इच्छा के साथ अत्यधिक मासिक । गर्भाशय में पीड़ा मूर्छा उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त होती है ।
थ्लास्पी बर्सा Q : अत्यधिक प्रवाह के साथ थक्के तथा निर्बलता जो दो मासिकधर्म के बीच में भी रहती है ।
ट्रिलियम पेन्डुलम : प्रत्येक दो सप्ताह पर मासिकधर्म, एक अथवा अधिक समय तक जारी रहने वाला ।